♦ रचनाकार: अज्ञात
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जायगो हऊ जाणी रे मन तूक
(१) पाँच तत्व को पींजरो बणायो,
जामे बस एक प्राणी
लोभ लालूच की लपट चली है
जायगो बिन पाणी...
रे मन तू...
(२) भुखीयाँ के कारण भोजन प्यारा,
प्यासा के कारण पाणी
ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी
नही मिल्यो गुरु ज्ञानी...
रे मन तू...
(३) राज करन्ता राजा भी जायगा,
रुप निखरती राणी
वेद पड़न्ता पंडित जायेगा
और सकल अभिमानी...
रे मन तू...
(४) चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा,
जाय पवन और पाणी
दास कबीर जी की भक्ति भी जायगा
जोत म जोत समाणी...
रे मन तू...