जारी रखो आवाज़ तारी रखो / संगीता शर्मा अधिकारी
जारी रखो आवाज तारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
झुको नहीं
न झुकाओ
बेहतर सोचो
अच्छी सोच को आगे लाओ
यूं चुप ना बैठो
आवाज का वॉल्यूम बढ़ाओ
जारी रखो आवाज तारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
वो जो गफलत में बैठे हैं
ऊंचे सिंहासन ऊपर
मदमस्त हाथी से
गुमान में चूर
कि 'हम ही हम, बाकी पानी कम'
उनके सिंहासन का पांया
खिसकाने की तैयारी रखो।
आवाज तारी रखो जारी रखो
आवाज़ तारी रखो जारी रखो।
भले वह समझे तुम्हें
चींटी-सा तुच्छ
कुचलकर, मसलने को तैयार
बन करके चींटी
उनकी मति बौराने की
जिम्मेदारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
वो जो बन बैठे हैं मठाधीश,
भूपति, साहूकारी,
सिर से पैर तक
भ्रष्टाचार में लिप्त व्याभिचारी
उन्हें मिटाने की पूरी तैयारी
जारी रखो आवाज तारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
बंद कराओ इनको
ये जो धौस आजमाते हैं
बात-बात पर
चीखते-चिल्लाते
और गरियाते हैं
दूसरे के जीवन को
अज़ाब बनाते हैं
पैसे के बल पर
जो जोर आज़माते हैं
उन सभी को
हटाने की तैयारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
जारी रखो आवाज़ तारी रखो।
सुनो,
सुनो, तुम यूं चुप ना बैठो
अपनी आवाज को
अपने गले के भीतर
ही ना दबाओ
ये जो अन्यायी हैं
अत्याचारी हैं
ताकत के बल पर हथियाते,
ये दुनिया सारी हैं
काला धन बटोरकर
कर रहे जो हर रोज़
चोर बाजारी हैं
पांव छू रही जिनके दुनियाँ
ये जो सरमाएदारी हैं
उनको मिटाने और बदलने की
तुम पूरी तैयारी रखो
जारी रखो
जारी रखो आवाज तारी रखो।
जारी रखो आवाज़ तारी रखो।