जारी रहे हमारी शिकायतों का महाभारत / लोकमित्र गौतम
मैंने उसके मोबाइल में मैसेज किया
एक रुटीन मैसेज
...और चाहा कि वह भी फटाफट जवाब दे
जैसा कि हम दोनो
बिना कुछ कहे अकसर करते थे
मगर न जाने क्या हुआ
आज उसने पलटकर मैसेज नहीं किया
सुबह से दोपहर हो गयी
दोपहर से शाम ढल गयी
शाम से रात गहरा गयी
मगर उसका कोई मैसेज नहीं आया
मैं चैंका
थोड़ा हैरान
थोड़ा परेशान भी हुआ
फिर दिल को समझाने की कोशिश की
मैसेज नहीं आया तो क्या हो गया?
हो सकता है......?
रिक्त स्थान में तमाम बातें भरकर देखीं
फिर भी जब संतुष्ट नहीं हुआ तो
इसे मामूली बात मानकर
दिमाग से दूर फेंकने की कोशिश की
पर ऐसा भी नहीं कर सका
यह जानने की जिज्ञासा
न दिल से निकली
न दिमाग से
कि आखिर उसका मैसेज क्यों नहीं आया?
जाने, अनजाने
किसी न किसी बहाने
आज पूरे दिन
मैं हर पल उसके मैसेज के इंतजार में ही रहा
बिना इच्छा काफी पीते हुए
बिना कुछ सुने
बिना कुछ समझे
टीवी पर समाचार देखते हुए
पूरे समय
मेरी नजर अपने मोबाइल स्क्रीन पर ही रही
मैसेज ट्यून के अभ्यस्त मेरे कान
पूरे दिन इसे सुनने के लिए बेचैन रहे
ऐसा नहीं है कि आज मैसेज आए ही नहीं
एक नहीं कई आए
एक- मोबाइल मे फटाफट भविष्य जानने के लिए
एक- सस्ते में रिंगटोन पाने के लिए
एक- बुआ जी के यहां कथा में आने का
एक- दो बेडरूम का फ्लैट खरीदने के लिए
और भी कई आए
जिन्हें मैंने पूरा पढ़े बिना ही डिलीट कर दिया
क्योंकि इनमें उसका कोई मैसेज नहीं था
जिसका मुझे पूरे दिन से इंतजार था
आप सोच रहे होंगे
मैं क्या बेमतलब बात का बतंगड़ बना रहा हूं
अपनी संदेशगाथा को राई का पहाड़ बना रहा हूं
अरे मैसेज नहीं आया तो नहीं आया
कोई भी वजह हो सकती है
पलटकर मैसेज न करना
गुस्सा दर्ज कराने का भी एक जरिया हो सकता है
इसकी और भी कई वजहें खोजी जा सकती हैं
बेहद आदर्श
बेहद विश्वसनीय
पर यह भी तो सच है
जो हमेशा पलटकर जवाब देता हो
उसकी पहली पहली चुप्पी
किसी की अकसर लगाई जाने वाली चुप्पियों से
कहीं ज्यादा खतरनाक होती है
क्योंकि उसकी इस पहली अनदेखी का गुरुत्वाकर्षण
इतना अधिक होता है कि उससे बने ब्लैक होल में
सपनों और संभावनाओं के तमाम क्षितिज
हमेशा हमेशा के लिए समा जाते हैं
मोबाइल मैसेज महज
एक सौ साठ अक्षरों की इबारत भर नहीं है
सोचकर देखो
यह अंगुलियो की सहमति से किया गया
दिल का खामोश इकरारनामा हैं
मानता हूं
आवाज, शब्दों से ज्यादा आत्मीय होती है
मानता हूं
नजरें, अनंत संदेश दे सकती हैं
मानता हूं
मौन, मौजूदगी का सबसे बड़ा संबल है
लेकिन दिल के कारोबार में
ये सब मौखिक दस्तावेज हैं
यही वजह है लिखित संदेशों का गुरुत्वाकर्षण
हमेशा ज्यादा रहा है
चाहे बात कबूतर युग की रही हो
या सैटेलाइट युग की
वैसे भी आज की उसकी चुप्पी
उसकी पहली चुप्पी है
विरोध का पहला मौन कदम
सबसे मजबूत
सबसे ताकतवर
क्योंकि यह पहला है
यह पहल है
इसके बाद का हर कदम तो बस
पहले का दोहराव होगा
महज अनुवर्ती क्रिया
जैसे साइकिल चलाने के लिए
पैडल पर पैर मारना
पहली चुप्पी ही तो साहस है
बाद का हर दुस्साहस तो बस
पहले की पुनरावृत्ति
उसकी यह पहली चुप्पी
इसलिए भी खतरनाक है
क्योंकि इसमें किसी नौसिखिये आतंकी द्वारा की गई
पहली हत्या का सा हौसला है
डरता
कांपता
पल पल इरादे बदलता हौसला
जो समझ न पा रहा हो
गलत क्या है
सही क्या है....
मुझे अंदाजा है
इस पहली पहली चुप्पी के लिए
वह कितना लड़खड़ाई होगी
की बोर्ड तक पहुंचकर
न जाने कितनी बार अंगुलियां
मैसेज लिखने के लिए कांपीं होंगी
जैसे पहली बार किसी की जान लेने के पहले
कोई नौसिखिया आतंकी
‘हां’ और ‘न’ के बीच के बालिस्त भर का फासला
तय करते हुए
कशमश की पूरी एक जिंदगी जीता है
यह बात अलग है कि अगर सफल रहा
तो यही पहली हत्या
उसे छेड़ने के लिए
जिंदगीभर का एक निरीह चुटकुला बन जाती है
इसलिए मैं नहीं चाहता
कि वह जिद पर अड़ी रहे
....और मैसेज न करने का उसका कमसिन हौसला
पिघलकर इस्पाती खौफ बन जाए
मैं इसीलिए उसकी चुप्पी से
उसके जिद्दी मौन से डर रहा हूं
और चाहता हूं वह जवाब दे
ताकि उसकी नाजुक शिकायत
हम दोनो के बीच
तीखे संदेश युद्ध का जरिया बन जाए
मोबाइल की लाइटें
रह रहकर जलें बुझें
मैसेज ट्यून
रुक रुककर चेतावनी का सायरन बजाए
मगर इस सबसे बेपरवाह जारी रहे
हमारी शिकायतों का महाभारत