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जिन्दगी / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
जिन्दगी फर्नीचर नै छेकै
फर्नीचरें इंतजार करै छै
आवै वाला के
आरो करै छै स्वागत
प्यार सें भी
जिन्दगी भी प्यार करै छै
आरो इंतजार भी करै छै
अपनोॅ प्रिय के
पर ऊ ठहरलोॅ नै होय छै
एक्के जगह पर
जिन्दगी जेकरा प्यार करै छै
ओकरा बहाय केॅ लै जाय छै
दूर तलक
आपनोॅ साथेॅ।