भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिया ले गयो जी, मोरा साँवरिया / राजा मेंहदी अली खान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिया ले गयो जी मोरा सावरियाँ
लागी मन में लगन हुयी बावरियाँ

ओ पपीहे, ओ पपीहे
तूने पपीहे नही देखे मोरे सैय्या
देखे तो ले लेगा उन की बलैय्या
जा रे दीवाने, मार ना ताने, पिया की सुन जा के बाँसुरियाँ

सामने आये तो मैं आँखों में छुपा लूँ
थाम के बैय्य़ा उन्हे दिल में बीठा लूँ
शाम सवेरे, साथ वो मेरे, गोरी के संग जैसे गागरियाँ