बेटी बचाओ, बेटी पढाओ
स्त्री-खिमता बधावण रो जमानो
ऊंचा-ऊंचा भासण
हक है लुगाई नैं ई आजादी रो
आपरी मरजी सूं जीवण रो
सांसां पर पहरो बिठायां थे
लेवणी चावो साबासी माडाणी
लुगाई री खिमता अर हूंस री अणदेखी कर
आधुनिक हुवणै रो करो सतरंगी ड्रामो
मन में दुर्योधन धार्यां
भूली नीं हूं म्हैं थारी चाल, चावना, भावना
त्रेता सूं कळजुग तांई रिगदोळता आया हो
म्हारी ओळखाण
कौशल्या, कैकेयी, जानकी
गांधारी, कुंती, द्रौपदी
भटियाणी, तंवराणी सूं
मिसेज शर्मा, वर्मा, सिंह तांई
थे दे नीं सक्या म्हारो नांव ई म्हनैं
धरणो चावो हो खुद रै हाथां
खुद रा घड़्या सिरमौड़
‘स्त्री-सगती रा रुखाळा’ री करो पैरोकारी
खुद नैं बिड़दावणै री
झूठी धजा फरूकायां
म्हारी स्वतंत्रता रा गीत
म्हैं मतै ई गा लेस्यूं
अेकर सोधण दो म्हनैं म्हारो नांव
जीवण द्यो पड़छियां विहूणी जूण
म्हारी ओळखाण, म्हारै नांव री पिछाण
गा लेसूं गीत स्वतंत्रता रा...