जीवन में कुछ बन पाते।
हम इतने चालाक न थे।
सच तो इक सा रहता है,
मैं बोलूँ या जग बोले।
हारेंगे मज़्लूम सदा,
ये जीते या वो जीते।
पेट भरा था हम सबका,
भूख समझ पाते कैसे।
देख तुझे जीता हूँ मैं,
मर जाता हूँ देख तुझे।
जीवन में कुछ बन पाते।
हम इतने चालाक न थे।
सच तो इक सा रहता है,
मैं बोलूँ या जग बोले।
हारेंगे मज़्लूम सदा,
ये जीते या वो जीते।
पेट भरा था हम सबका,
भूख समझ पाते कैसे।
देख तुझे जीता हूँ मैं,
मर जाता हूँ देख तुझे।