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जूण / कन्हैया लाल सेठिया

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उडै पंखेरू
दिन थकां
रात पडयां चमचेड़
सूरज री कोनी हुवै
मावस साथ घनेड़ !
करमा सारू जीव रै
मिलसी बीं नै जूण
अणहूणी कोनी हूवै
टाळ सकै कुण हूण ?