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जैसे बाज़ परिन्दों में / विज्ञान व्रत
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जैसे बाज़ परिन्दों में
मेरा क़ातिल अपनों में
अब इंसानी रिश्ते हैं
सिर्फ़ कहानी-किस्सों में
पढ़ना-लिखना सीखा तो
अब हूँ बंद क़िताबों में
मौसम को महसूस करूँ
ख़बरों से अख़बारों में
मेरे पैर ज़मीं पर हैं
ख़ुद हूँ चांद-सितारों में!