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जोॅनमजूर / पतझड़ / श्रीउमेश

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दुपहरियां कामोॅ सें छुटलै, जोॅन-मजूरा ऐलोॅ छै।
सभ्भै के एक्के छाया छै, सबटा यहीं समैलोॅ छै॥
जान उपेखी काम करैछै, देखलाबै मरदानी छै।
लेकिन यहाँ खेसाड़ी के सतुआ में ढारै पानी छै॥
आपनें सतुआ धोरै छै जनता केॅ भात खिलावै छै।
एन्हैं तपसी मजदूरें जनता केॅ स्वर्ग देखाबै छै॥
खाय पिबेकेॅ लैटीकेॅ, खैनी में चून बघारै छै।
बेरा होला पर उमंगी केॅ पैनोॅ बैल सँभारै छै॥