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टटोला हुआ सुख / शरद कोकास
Kavita Kosh से
धरती से निकले
आस्था के अंकुरों में
ननकू देखता है सुख
जवान लड़के की
फटी कमीज़ से झाँकती
ज़िम्मेदारियों की माँसपेशियों में
ननकू टटोलता है सुख
ट्रांज़िस्टर लेकर शहर से लौटे
पड़ोसी के किस्सों में
ननकू ढूँढता है सुख
रेडियो पर आने वाले
प्रधानमंत्री की
विदेश यात्रा के समाचार में
ननकू पाता है सुख
ननकू को यह सारे सुख
उस वक्त बेकार लगते हैं
जब उसका बैल बीमार होता है।