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टाबरिया / कन्हैया लाल सेठिया
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उग्यो’क कोनी उग्यो
देखै खिणखिण
खोद’र
बायोड़ो बीज
भोळा टाबरिया,
हु’ गी बां रै भऊं
आ ही एक रमत
कोनी जाणै बै
चाहीजै सिरजण नै
धूळ’र सागै
गिगनार’र बगत
ओ आखो जगत
तीन्यां री
मिली भगत।