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टीस / अविरल-अविराम / नारायण झा

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तकैत छथि कवि
बैसि ऊँचका चबूतरासँ
मिस्स पड़ैत महानगरमे
गामक गोइठबीछनी
मुरेठा बान्हल माथ

अकानै छथि कवि
शहरक ध्वन्यालापमे
दुखनीक दु:ख
फेकनीक संगे जे घटलै

करै छथि कवि गणित
एसी घरमे
रौदी-दाही पर
माछ-मखानक लगता पर

ठठै छथि कवि
अट्टालिकामे रहि
मड़ैयाक ठाठ, कोनियाँ
आ बुनै छथि टाट-फरक

लेबै छथि कवि
शीशमहलसँ
घरक दाबा
नीपै छथि
गोबरसँ अंगना- ओसार।

कविक सिहरै छनि देह
पड़ले-पड़ल
सुनलाक ढ़ोलिया जकाँ
धोइध बढ़ा कवि
मारै छथि अर्राहटि
प्रसव-पीड़ासँ
लिखै छथि व्यथा -कथा -स्रष्टाक

कवि लिखै छथि गठूल्लासँ
समुद्रक ज्वार-भाटा
करै छथि कवि
लाइवटेलिकास्टिंग व्हाइट हाउसक
अन्तर्ध्यान भS
देखै छथि कवि
घरक कोनटासँ तीनू भुवन।

कवि लिखैत छथि
लिखिये रहल छथि
कल्पनाक अनन्त अकास
जोड़ै छथि
भावनाक पैघ-पैघ महल
तखन
डेगाडेगी डेगे यथार्थक रस्ता पर
दौगबै कहिया
आ पुरबै बाँहि सभहक संगे
कहिया।