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टुक बूझ कौण छप आया है / बुल्ले शाह

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टुक बूझ कौण छप आया है।
एह आया छप्पका छप्पकाया है।

कित्त इस नूँ किस नूँ अड़ना ऐं,
गुलिस्ताँ<ref>बाग</ref> बोस्त<ref>किताब का नाम</ref> पढ़ना ऐं,
ऐवें बेमूजब<ref>व्यर्थ</ref> क्यों मरना ऐं।

किसे उलटा भेत पढ़ाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

जिस नाह दरदी बात सही,
उस प्रेम नगर ना झात पई,
भाल कित मुई कित डुब मुई।

आह क्यों जिन्दाए जाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

दुआ दूर करो कोई शोर नहीं,
सभ तुरक हिन्दू कोई होर नहीं,
सभ साध लिखो कोई चोर नहीं।

हरि घट घट बीच समाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

पलास<ref>पेड़ का नाम</ref> मनिन्द<ref>जैसा</ref> बणाओ रे,
तन पात पात लुटाओ रे,
मुक्ख काला कर विखलाओ रे।

इस सिआही रंग लगाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

जो कहेआ ना-मनजूर होया,
दूआ ना कहेआ मनजूर होया
जिस दस्सआ सो मनसूर होया।

ओह सूली पकड़ चढ़ाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

इस दुक्ख सों किचरक भागेगा,
रो सौ के फिर तूँ जागेगा,
फिर उठदा रोवण लागेगा।

किस गफलत मार सवाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

है विरली बात बतावण की,
तुम समझो दिल पर लावण की,
इक्क बात बतलाऊँ पावण की।

ओह कौण जो बणा बणाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

तुझे कसब<ref>हुनर</ref> फुकर<ref>गरीबी</ref> ताकीद किया,
दुःख तन आरफ<ref>ज्ञानी</ref> बाअजीद<ref>नाम</ref> किया,
कर जोहई कुतब<ref>उत्तर दिशा</ref> फरीद किया।

किसे मेहनत नहीं पाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

इक्क रब्ब दा नाम खज़ाना है,
मंग चौराँ याराँ दानाँ है,
उस रहमत दा खसमाना है।

संग खौफ रफीक<ref>दोस्त</ref> बणाया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

जेहड़े मन लागा नहीं दुआ रे,
यह कौण कहे मन मोया रे,
इनायत सभ तन होया रे।

फेर बुल्ला नाम धराया है।
टुक बूझ कौण छप आया है।

शब्दार्थ
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