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टूटी आवाज़ / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
फैली है दूर तक परेशानी
तिनके-सा तिरता हूँ, तो क्या है ?
तुमसे नाराज़ तो नहीं हूँ मैं
आँसू का शिलालेख है जीवन
बिना पढ़ा, बिना छुआ
अन्धी बरसात बद्दुआओं की
नफ़रत का घना धुँआ
मकड़ी के जाले-सी पेशानी
साथ लिए फिरता हूँ, तो क्या है ?
टूटी आवाज़ तो नहीं हूँ मैं
मैं दूँगा भाग्य की लकीरों को
रोशनी सवेरे की
देखूँगा कितने दिन चलती है
दुश्मनी अँधेरे की
जीऊँ क्यों माँग कर मेहरबानी
संकट में घिरता हूँ, तो क्या है ?
कोई सरताज तो नहीं हूँ मैं