भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टेसू का गीत / कन्हैयालाल मत्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लम्बी चुटिया, बूचे कान,
टेसू बड़े दबंग जवान !

तीन टाँग से खड़े अकड़कर,
जैसे आए हों लड़-भिड़कर,
दिखा रहे हैं तीर-कमान,
 टेसू बड़े दबंग जवान !

वीर बभ्रुवाहन कहलाते,
घर-घर जाकर अलख जगाते,
इनसे बढ़कर यही महान्,
टेसू बड़े दबंग जवान !

मूँछों पर हैं ताव निकाले,
इनका गुस्सा कौन संभाले?
रखते अजब निराली शान
टेसू बड़े दबंग जवान !

दिन में नहीं, रात में चलते,
किन्तु कमर पर दीपक जलते,
कभी न होती इन्हें थकान !
 टेसू बड़े दबंग जवान !