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टॉफी जैसे दिन हों भाई / प्रकाश मनु

टॉफी जैसे दिन हों भाई
चॉकलेट जैसी रातें,
झरनों जैसे गाने हों जी
चिड़ियों जैसी अपनी बातें।
फिर तो खूब मजा आ जाए।
फूलों जैसा मन खिल जाए।