भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टॉफी जैसे दिन हों भाई / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
टॉफी जैसे दिन हों भाई
चॉकलेट जैसी रातें,
झरनों जैसे गाने हों जी
चिड़ियों जैसी अपनी बातें।
फिर तो खूब मजा आ जाए।
फूलों जैसा मन खिल जाए।