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टोहाना-1989 / रुस्तम
Kavita Kosh से
नई बिल्डिंगें उठ रही हैं
मेरे माँ-बाप का पुराना घर
अब और भी पुराना लगता है
और वे ख़ुद
कुछ और बूढे़ और झुके हुए
समय किसी को नहीं बख़्शता
जिसे विकास कहते हैं
वह हमारी
आत्मा को
रौंदता बढ़ता है।