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ठण्ड की मारी(हाइकु) / रमा द्विवेदी
Kavita Kosh से
१-मन तरसे
गुनगुनी धूप को
सूर्य भी छुपा |
२-कहाँ लिखाएं
गुमशुदा -रपट
सूर्य खो गया |
३-देख न सके
कुहासे भरी भोर
जीवन ठप्प |
४-तीखी चुभती
नश्तर-सी चुभोती
शीत लहर |
५-बर्फ ही बर्फ
पानी भी जम गया
ड़ल झील का |
6-श्वेत चादर
ओढ़ कर सोई है
अम्बर झरे |
7-सड़क खाली
सुनसान-सी पडी
ठण्ड की मारी |
९-अलाव जले
हाथ-पाँव सेंकते
कहानी कहें |<br