भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ठण्ड की मारी(हाइकु) / रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

    
१-मन तरसे

गुनगुनी धूप को

सूर्य भी छुपा |


 
२-कहाँ लिखाएं

गुमशुदा -रपट

सूर्य खो गया |


 
३-देख न सके

कुहासे भरी भोर

जीवन ठप्प |


 
४-तीखी चुभती

नश्तर-सी चुभोती

शीत लहर |


 
५-बर्फ ही बर्फ

पानी भी जम गया

ड़ल झील का |



6-श्वेत चादर

ओढ़ कर सोई है

अम्बर झरे |


 
7-सड़क खाली

सुनसान-सी पडी

ठण्ड की मारी |



९-अलाव जले

हाथ-पाँव सेंकते

कहानी कहें |<br