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डर / पंकज सुबीर
Kavita Kosh से
बुढ़ाते हुए चाँद से पूछा मैंने
क्या तुम्हें भी लगता है डर?
चाँद मुस्कुराया
बोला
दोस्त...
हर चलती हुई चीज़ को लगता है डर
कहीं किसी भी क्षण
अचानक रुक जाने का डर...