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डर सूं डरो तो दुनियां मारै / मोहम्मद सद्दीक

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डर सूं डरो तो दुनियां मारै
डर सूं डरपणियो मन हारै
डरतो मिनख मिनख रै लारै
नैया कुणसो पार उतारै।

दै गोतो डर भागसी
बतळाया डर जागसी
बुचकारयां डर लागसी
मिसरी मूंडै लाड लडायां
बिन फागण भी फागसी
खुल्ली गोळ्यां दागसी

थारी करणी रो फळ पा रै
माथै चढिया किणनै धारै
रूपां रूड़ो आंख्यां झारै
नैया कुणसी पार उतारै।

फाटी गुदड़ी सीणो है
खारा तूम्बा पीणो है
है मरणो पण जीणो है
डर डांफर बण गांव उजाड़ै
कायर जूण चबीणो है
नाव डूबसी तीणो है।
डर मत, गीत हेत रा गा रै
सगळा केवै कोनी ठा रै
भूखा भूत लागरया लारै
नैया कुणसो पार उतारै

हिम्मत रै फळ लागसी
डर भी डरतो भागसी
सूतोड़ा अब जागसी

हाणो-हाण थड़ी कर जूझै
अब समदर नै थागसी
करमां रै फळ लागसी

जग-मग जोतां नै मत मारै
काची कूंपळ नै मत खा रै
टाबर रोतां नै बिलमा रै
नैया कुणसो पार उतारै।