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डोहा गीत / 1 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा तागल्या रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा तागल्या रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
तागल्या पेहरिन बड़ी मोज रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा तागल्या रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
हार पेहरिन बड़ि मोज रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा बाष्ट्या रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा बाष्ट्या रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
बाष्ट्या पेहरिन बड़ी मोज रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा कड़ुल्या रे लोल।
दुइ-दुइ जोड़ी मारा कड़ुल्या रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।
कड़ुल्या पेहरिन बड़ि मोज रे लोल।
रमण्यो डोहो मारो रमण्यो रे लोल।

- दीपावली के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है।

मेरा डोहा खेलने वाला है। मेरे दो-दो जोड़ी तागल्या हैं। तागल्या पहनकर बड़ी
मौज है। दो-दो जोड़ी मेरे हार हैं। हार पहनकर बड़ी मौज है। दो-दो जोड़ी मेरे
बावंठ्या हैं। बावंठ्या पहनकर बड़ी मौज है। दो-दो जोड़ी मेरे कुड़ल्या हैं। कड़ुल्या
पहनकर बड़ी मौज है।