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ढ़ाई आखर / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
कबीर की डायरी से
खोजना ढाई आखर!
ढाई आखर चलेगा
कबीर-सा गलियों में
इकतारा बजाएगा ढाई आखर
दिल्ली में!
ढाई आखर संसद में कहेगा
‘चलो साथ-साथ।’