भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ढाई अक्षर / आरसी चौहान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारी हँसी के ग्लोब पर
लिपटी नशीली हवा से
जान जाता हूँ
कि तुम हो

तो
समझ जाता हूँ
कि मैं भी
अभी जीवित हूँ
ढाई अक्षर के खोल में।