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ढूँढ़ता है / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
खेत में पाड़ डाल-डाल
थार को
उथल-पुथल कर
ढूँढ़ता है सी’ल;
आँगली भर ही सही
मिले अगर सी’ल
तो रोप दे
सिणिया भर हरा
और लौटा लाए
शहर के ट्रस्ट में
चरणे गई धर्मादे का चारा
थाकल डील गायें ।