भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तमाम लोग / सोमदत्त
Kavita Kosh से
अपने बच्चे से
तुमने जाने दुनिया के बच्चे
अपने बच्चे की बीमारी से
तुमने जाने तमाम दुनिया के रोग
अपने बच्चे की किलकारी से
तुमने जाने तमाम दुनिया के सुख
अपने बच्चे से, अपनी माँ से, अपने भाई से
अपने पड़ोसी से, अपने प्रेम से, अपने दुश्मन से
तुमने जानी
हमने जानी तमाम दुनिया, तमाम लोग