भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तस्वीर / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तस्वीरें अच्छी आयेंगी
इन्हें अच्छी तरह से खींचा गया है
ये अपने गाढ़े रंग में चमकदार
जैसे अब तब बोल पड़ेंगी
और हम सब तैयार हैं उसे सुनने के लिए।
याद आता रहता है तुम्हारा चेहरा हमेशा
उसे कैसे भुलाया जा सकता है
लेकिन इस तस्वीर को देखना
बहुत अधिक सुकून देता है,
इस तस्वीर में तुम घर के भीतर हो
ये पर्दे-मेज, लैम्प, कुर्सियां
सभी तुम्हारे साथ
जैसे तुम बिल्कुल मेरे सामने बैठी हो।