भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तस्वीर / राहुल राजेश
Kavita Kosh से
एक चुटकी नमक
दो फाँक प्याज
और थरिया भर भात
यही मजूर की औकात
कमल खिले या
लहराए हाथ छाप
या गद्दी पर बैठे
माया मेम साब
साठ बरस में नहीं बदली
तो अब क्या बदलेगी
तकदीर जनाब
झूठी हैं सारी तस्वीरें
जो देखते हैं
टीवी पर आप.