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तितली / राहुल शिवाय
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रंग-बिरंगी प्यारी तितली
फूलों पर मँडराती है
यह उपवन की शोभा में
सुन्दरता बिखराती है
रंग-बिरंगे पंख हिलाकर
मस्ती में इठलाती है
फिरती है यह डाली-डाली
सबके मन को भाती है
एक फूल से दूजे पर यह
पल भर में उड़ जाती है
बच्चों के मन को यह मोहे
खुशियों-सी छा जाती है
तितली जैसा बनकर हमको
खुशियों को फैलाना है
उपवन जैसा इस धरती को
बनकर फूल सजाना है