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तिरफला / पढ़ीस
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आपु अँगरेजी पढ़िनि, अँयिंठि-अँयिंठि आगे चले,
बापु जी झ्वारा धरे जाति हयिं कढ़िलति पाछे।
आपु सरभंडु<ref>भ्रष्ट</ref> किहे खाति हँयि मट्टन-चापयि,
बापु फरहार करयि, लीपिकयि चउका भीतर।
म्याला मदार मा मुँहुँ खोलि कयि सिन्नी बाँटिनि,
ससुर का देखि फिरि घूँघुटु निकरा डेढ़हत्था।
राम जानयिं मोरी बिटिया होरी का करिहयिं,
पढ़िनि स्वारहु कला चूल्हु क देखे र्वावयिं।
अंगु ‘पढ़ीस’ का अब तउ भवा दाहिन ड्याबर<ref>अपंग, निष्क्रिय </ref>
‘उयि’ करयि माम्बिला<ref>मामला</ref> तब लिहे लरिका हालयिं।
शब्दार्थ
<references/>