माँ, तुझे बधाई हो
तेरे बेटे के जन्मदिन पर
जिसके बारे में इतनी चिंतित रहती है तू
कि वह यहाँ पड़ा है
वह कम कमाता है
उसकी शादी करके ग़लती की
वह लम्बा है
वह दुबला है
वह दाढ़ी नहीं बनाता है
ओह माँ !
टकटकी लगाकर
क्यों देख रही है तू मुझे
कितनी प्यारी टकटकी है कमबख्त
तुझे बधाई, माँ
तेरी चिंताओं के इस जन्मदिन पर
यह तू ही थी, माँ
जिसने दी मुझे वंशागत श्रद्धा
अक्खड़पन और अनाड़ीपन
तुझसे ही मुझे मिली निष्ठा और क्रांति
तूने मुझे समृद्ध नहीं बनाया
न दी प्रसिद्धि
निर्भीक बनाया मेरी प्रतिभा को
अब सारी खिड़कियाँ तू खोल दे, माँ
पेड़ों पर बैठ तू, चहचहा
मेरी खुली आँखों को चूम
मुझे मेरी कॉपी और स्याही की दवात दे
दूध दे मुझे पीने के लिए, माँ
और यूँ ही मुझे ताकती रह