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तुझ लब की सिफ़त / वली दक्कनी
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तुझ लब की सिफ़त लाल बदख्श़ाँ सूँ कहूँगा।
जादू है तेरे नैन ग़जाला सूँ कहूँगा।।
दी हक़ ने तुझे बादशाही हुस्न-नगर की।
यह किश्वरे ईराँ में सुलेमाँ सूँ कहूँगा।।
ज़ख्मी किया है मुझे तेरी पलकों की अनी ने।
ज़ख्म तेरा खंज़रे भालाँ सूँ कहूँगा।।
बेसब्र न हो ऐ 'वली'! इस दर्द सूँ हरगाह।
जल्दी सूँ तेरे दर्द की दरमाँ सूँ कहूंगा।।