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तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी / अबरार अहमद
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तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी
दिल को ये बेकली रहेगी अभी
सर को दीवार ही नहीं मिलती
सो ये दीवानगी रहेगी अभी
कोई दिन फ़ुर्सत-ए-तमन्ना है
कोई दिन सर ख़ुशी रहेगी अभी
कासा-ए-उम्र भी चुका फिर भी
कहीं कोई कमी रहेगी अभी
शब वही है जमाल-ए-ख़्वाब वही
आँख अपनी लगी रहेगी अभी
जिस क़यामत की आमद आमद है
वो क़यामत टली रहेगी अभी
हम यक़ीनन यहाँ नहीं होंगे
ग़ालिबन ज़िंदगी रहेगी अभी
कुछ अभी रंज-ए-आरज़ू है हमें
आँख में कुछ नमी रहेगी अभी
तू अभी मुब्तला-ए-दुनिया नहीं
तुझ में ये सादगी रहेगी अभी
ला-तअल्लुक़ हूँ उस तअल्लुक़ से
और ये दोस्ती रहेगी अभी
जी उचटता नहीं है लगता नहीं
सो ये बेगानगी रहेगी अभी
कहीं कोई चराग़ जलता है
कुछ न कुछ रौशनी रहेगी अभी