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तुम/आप / सुतिन्दर सिंह नूर
Kavita Kosh से
बरसों लगते हैं
आप से तुम तक पहुँचते हुए
तुम से आप तक
एक पल में पहुँच जाते हैं।
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : शांता ग्रोवर