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तुमने शायद कहीं सुना होगा / मधुप मोहता

Kavita Kosh से
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तुमने शायद कहीं सुना होगा
मैं ज़मीं और तू आसमां होगा

हम पतंगों की तरह उड़ते हैं
ये तू नहीं है मेरा गुमां होगा

तेरा किरदार मेंरा सच तो नहीं
मेरे ख्वाबों का आशियाँ होगा

रात आने को है, ज़रा सो लें
दिल भी दिल है, ये ब़ेइमां होगा

ये रास्ता तेरे घर की ओर जाता है
चलो चलें, शायद मेरा मकां होगा

गैरमुमकिन, तुझे छुपा लूँ अब
इश्क है, इश्क तो बयाँ होगा