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तुम्हारा प्यार मिला / ब्रजमोहन
Kavita Kosh से
तुम्हारा प्यार मिला पाँव दो से चार हुए
लड़ेंगे ज़िन्दगी से हौंसले हज़ार हुए ...
चाँद छूने की ललक दिल में छटपटाई है
सफ़र में जाने ये फुर्ती कहाँ से आई है
रास्ते चाहतों के पँख पर सवार हुए ...
तुमको पाने की चाहत में कितना खोया है
समय को पीठ पे रख करके अपनी ढोया है
स्वप्न जीने के लिए कैसे बेकरार हुए ...
ये दिल अकेला नहीं अब किसी लड़ाई में
तुम्हारे साथ जैसे गीत हो चढ़ाई में
साथ मरने के साथ जीने के करार हुए ...
अब अन्धेरे का ख़ौफ़ है न डर ज़माने का
ज़िन्दगी लाई है दिन आज मुस्कुराने का
साथ चलने को मेरे आप जो तैयार हुए ...