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तुम्हारी नज़र ने निहारा मुझे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
तुम्हारी नज़र ने निहारा मुझे।
मिला ज़िन्दगी का इशारा मुझे॥
नहीं देख पाना मयस्सर हुआ
कई बार तुम ने पुकारा मुझे॥
अँधेरा निगलने लगा हर खुशी
मिला रौशनी का न धारा मुझे॥
गये चन्द्रमा सूर्य मुँह फेर कर
दिया जुगनुओं ने सहारा मुझे॥
चलाई है पतवार सारी उमर
मगर मिल न पाया किनारा मुझे॥
सितम सह गये हम ज़माने के पर
तुम्हारी जुदाई ने मारा मुझे॥
जिये ज़िन्दगी हम सभी के लिये
सभी ने हमेशा नकारा मुझे॥