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तुम्हारे और मेरे दरम्यान / मुन्नी गुप्ता
Kavita Kosh से
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
घट रही घटनाओं के बरअक्स
रचना है हमें लाल सूरज ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
भयानक त्रासदियों के बरअक्स
खिलाना है हमें आकाश ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
उग आई कैक्टसों के बरअक्स
उगाने होंगे हमें सुर्ख़ गुलाब ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
शून्य बनती स्थिति के बरअक्स
बनाने होंगे हमें जीवन के नए समीकरण ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
उठते भँवर के बरअक्स
खिलाने होंगे हमें पलाश ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
बनते खार रेगिस्तान के बरअक्स
बनाने होंगे हमें ही समन्दर ।
तुम्हारे और मेरे दरम्यान
बन आई चट्टानों के बरअक्स
बहाने होंगे हमें ही दरिया-कुसुम ।