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तुम्हें जाना तो पाया / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
तुम्हें जाना
तो पाया
बर्फ से ढका पहाड़ हो
आसपास अपने
पेड़-पौधे, घास तक
उगने नहीं देते तुम
जीवन से
हरियाली से
डरे, सहमे तुम
बर्फ के कवच में
कब तक
सुरक्षित रहोगे ?
अंतरंग उष्मा से
पिघल रही है बर्फ
निरावरण होने की
आशंका से
घबरा रहे हो तुम
तुम्हारे साथ हूँ मैं
फिर भी
स्वयं के स्वीकार का बल
जुटाओगे तुम स्वयं