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तुम्हें देखकर / कुमार रवींद्र
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तुम्हें देखकर
फूले नहीं समाते, सजनी
दिन वसंत के
महुआ फूला
नीम-आम दोनों बौराये
बरगद पर दिन-भर
तोता-मैना बतियाये
सँग पत्तों के
मादल-चंग बजाते, सजनी
दिन वसंत के
भरी-दुपहरी
सुनो, रात की रानी फूली
धूप रात-भर जगी
नियम वह भी है भूली
अचरज कैसा -
ऐसे ही बौराते, सजनी
दिन वसंत के
उपजा गीत -
हवा ने उसको जी-भर गाया
हठी तुम्हारी
मीठी चितवन की है माया
जादू उसका
फिरते उधम मचाते, सजनी
दिन वसंत के