तुम कहो तो / राहुल शिवाय
तुम कहो तो वंदना के पुष्प हैं, मनुहार हैं
यदि नहीं तो गीत मेरे धूल हैं, बेकार हैं
दीप बन करते प्रतीक्षा रातभर जलते रहे
आस के मोती हृदय के सीप में पलते रहे
श्वास के आवागमन में प्राण! तुम ही हो बसे
और तुम ही शब्द बनकर गीत में ढलते रहे
कर इन्हें स्वीकार तुम अब निज हृदय पट खोल दो
गीत मेरी प्रार्थनाएँ, प्राण के उदगार हैं
बाँसुरी की तान है, गोकुल यही, ब्रजधाम है
भक्ति को संकल्प दे दे प्रेम ऐसा नाम है
सात फेरों, बंधनों से मुक्त है, आकाश है
प्रेम मीरा का भजन है, सत्य है, निष्काम है
मीत बिन प्रिय मूल्य इसका कौन जग में दे सका
गीत हैं अभिव्यंजनाएँ, ये सतत-अभिसार हैं
प्रिय! प्रणय के गीत श्लोकों की तरह हो जाएँगे
शब्द-शक्ति को पिरोकर नेह को दर्शाएँगे
गीत ये गीता सदृश हैं, जानने की देर है
तुम अगर स्वर से लगालो ये अमरता पाएँगे
हम रहेंगें न रहेंगें गीत ये रह जाएँगे
मीत मेरे गीत जीवन का सफल शृंगार हैं
रचनाकाल- 10 नवम्बर 2016