भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तूस और क़ाऊस देश से / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
तूस और क़ाऊस देश से
एक बूँद मदिरा सुंदर,
क़ैक़ुवाद के सिंहासन से
सुघर प्रिया के मदिराधर!
मधुपायी जो नाला करता
उमर नित्य उठ प्रातःकाल
सौ मुल्लाओं के अजान से
वह प्रभु को प्रिय है बढ़कर!