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तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है / सलमान अख़्तर

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तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है
पूछ मुझ से मेरी सज़ा क्या है

ज़िंदगी इस क़दर कठिन क्यूँ है
आदमी की भला ख़ता क्या है

जिस्म तू भी है जिस्म मैं भी हूँ
रूह इक वहम के सिवा क्या है

आज भी कल का मुंतज़िर हूँ मैं
आज के रोज़ में नया क्या है

आइए बैठ कर शराब पिएँ
गो के इस का भी फायदा क्या है