हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तेरा हर्या पीपल सौंपल डाली भौं पड़ै
एक आरतड़े की मैं सार न जाणूं क्यूंकर कीज्या बटणां आरता
एक दूर देसां तै मेरी नणन्द आई आरता समझाईयां
एक डाल छोटा पेड़ मोटा कर दे सुहागण आरता
तेरे हाथ कसीदा गोद भतीजा कर दे सुहागण आरता
तेरे हाथ लोटा गोद बेटा कर दे सुहागण आरता
तेरे हाथ तोरी गोद छोरी कर दे सुहागण आरता
छोरियां ने मकर कसार बहुआं ने खाटी राबड़ी
द्योत्यां ने खेलणे, पोते हांडै रोवते
लीपै ते पोत म्हारी धीयड़, हाग हाग दाबै म्हारी कुल बहू
छोरियो तम अपणे घर जाओ, बेल बधावै म्हारी कुल बहू