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तेरी याद मगर लंबी है बहुत / ईशान पथिक
Kavita Kosh से
ये रात तो है बस छोटी सी
तेरी याद मगर लंबी है बहुत
कुछ बातें तुझसे करनी हैं
कुछ प्रश्न अभी भी बाकी है
हर सर्द रात हर सर्द सुबह
हर दिन एक पूरा पाखी है
ये रात तो है बस छोटी सी
वो बात मगर लंबी है बहुत
रो देता हूँ मैं कभी कभी
जब याद बनी तू आती है
तुझसे बातें करते करते
बरसात कभी हो जाती है
ये रात तो है बस छोटी सी
बरसात मगर लंबी है बहुत
ना बात करी न साथ रहे
सागर सी पर तू है मुझमे
तू इतनी गहरी है की बस
डूबा जाता हूं मैं तुझमे
ये रात तो ह बस छोटी सी
तेरी याद मगर लम्बी है बहुत