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तेरे बिन ये पहला-दिन / इकराम राजस्थानी
Kavita Kosh से
तेरे बिन ये पहला-दिन,
सूना-सूना निकला दिन।
सूरज किरनें धूप वही,
फिर भी बदला बदला दिन।
तेरे साये, ढूंढ़ रहा है,
कैसा है ये पगला दिन।
तनहाई के सन्नाटों में,
घूमा झुंझला-झुंझला दिन।
शाम तलक तड़पा यादों में,
फिर मुश्किल से सम्भला दिन।