तोहरे लेॅ कहै छियौ / खुशीलाल मंजर
की कहियौं कहलो नै जाय
बिन कहलें भी रहलो नै जाय
आइये तेॅ हमरा मौका लागलऽ छै
कहै लेॅ नै छोड़भौं जे कहना छै
चोरकी नुक्की से नै चलतौं काम
मेहनत करी केॅ चूआबऽ धाम
की बैठलऽ छऽ गाल फुलाय
की कहियौं कहलो नै जाय
सट्ठ समांगऽ सें काटे छऽ दुख
पानी पीबी केॅ मारै छी भूख
है रं करला सें कैं दिन चलतौं
छोटका बड़का सभ्भे हाँसतौं
कत्तेॅ कहभौं तोहरा बुझाय
कि कहयौं कहलो नै जाय
तनियो टा देहऽ में तेॅ पानी लानऽ
आपना आप केॅ खुद पहचानऽ
है रं मटरगस्ती सें नै चलतौं काम
तखनी पछतैभा जबेॅ होभा बेकाम
झाड़ऽ अभियो देह हाथ, करऽ उपाय
कि कहियों कहलो नै जाय
एकऽ सें तेॅ दू होला दूअऽ सें आठ
बच्चा बुतरु बिलटं छौं की बनै छऽ लाठ
केनां जैंतों दिन दिवस कुछ तेॅ बिचारऽ
बिगड़ी गेलौं चाल तोरऽ अभियो तसुधारऽ
नै मानभा बात तेॅ मरभा पछताय
कि कहियौं कहलो नै जाय
वाजिबो में तेॅ गोस्सा लागतौं ठिक्के
सच पूछऽ तेॅ कहैं छियौं निक्के
हमरऽ बातऽ पर जों देभौ धियान
तेॅ सुक्ख सें काटभा सांझ-बिहान
तोहरै लेॅ कहै छियौं जागऽ हो भाय
कि कहियौं कहलो नै जाय