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तोहें रिम्हऽ भात गोरिया / खुशीलाल मंजर
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तोहें रिम्हऽ भात गोरिया हम्में हटिया करी आय
गाँव से पूछें हट लगै छै
अलुआ, बैंगन खूब जुटै छै
नीमक, हरदी, तेल, किरासन
लैठी, चूड़ी खूब बिकै छै
बंधा आरो फूलकोबी देखी मऽन हमरऽ मुस्काय
तोहें रिन्हऽ भात गोरिया हम्में हटिया करौ आज
रंग बिरंग के चोली बिकै
फोकला लहकदार
फूलपाड़ के साड़ी आरो
साया झालरदार
ऐना-कंघी के बात नै पूछऽ अलता करै कमाल
तोहें रिन्हऽ भात गोरिया हम्में हटिया करी आय
कीया, कनपासा, ठोप एकन्नी
तोरा लानी केॅ देभौं
आरो लानभौं फीता-पाउडर
तोरा खूब सजैभौं
दोनों जीबऽ के मऽन बूझी केॅ हँसे ‘खुशी’ ठठाय
तोहें रिन्हऽ भात गोरिया हम्में हटिया करी आय