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थूं अर म्हूं-अेक / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
थूं
सूरज
थिर है
आपरी जिग्यां
आपरी रीसां में
बळतौ-बाळतौ
अर म्हूं
धरा
जकी
चक्करघिन्नी दाईं
रैवूं
घूमती-रिझांवती
थारै च्यारूंचफेर।