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दरमाहा / दीप नारायण
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चुल्ही निपेतैक
बरतन मजेतैक
पान चिबबैत हमहुँ
किछु काल बैसबै
बनियाँक दोकान पर
हाट सँ घुरल
पिताक झोड़ा मे रहतनि
नेना-भुटकाक लेल
फोंफी, झील्ली-मुरही, कचरी
खोंखैत छथि
कतेक दिन सँ माय!
आब आनि देबनि दबाइ
आइ सिंगार करती कनियों
दरमाहा आएल अछि!